ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र का वर्णन कीजिए

ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र (brahmaputra nadi tantra) –

ब्रह्मपुत्र नदी का उद्गम हिमालय स्थित मानसरोवर झील के निकट चेमयांगडुंग ग्लेशियर से होता है! तिब्बत में ब्रह्मपुत्र को सांगपो के नाम से जाना जाता है! नामचाबरवा के निकट हिमालय को काटकर तथा यू-टर्न बनाते हुए गहरे गार्ज का निर्माण करती है और दिहांग के नाम से भारत में प्रवेश करती है! 

कुछ दूर तक दक्षिण-पश्चिम दिशा में बहने के बाद इसकी दो प्रमुख सहायक नदियां दिवांग और लोहित इसके बाएं किनारे पर आकर मिलती है! इसके बाद इस नदी को ब्रह्मपुत्र के नाम से जाना जाता है! इसके अन्य सहायक नदियां धनश्री, सुबनसिरी, मानस, पगलादिया इत्यादि है! ब्रह्मपुत्र नदी की कुल लंबाई 2900 किमी. है जिसमें से 916 किमी भारत में बहती हैं! 

असम के धुबरी के निकट ब्रह्मपुत्र दक्षिण दिशा में बहती हुई बांग्लादेश में प्रवेश करती है! बांग्लादेश में ब्रह्मपुत्र को जमुना के नाम से जाना जाता है! जमुना में दाहिनी ओर से तीस्ता नदी आकर मिलती है! यमुना आगे जाकर पद्मा में मिल जाती है तथा पद्मा मेघना से मिलने के नाम से बंगाल की खाड़ी में गिरती है! असम घाटी में ब्रह्मपुत्र नदी गुंफित जलमार्ग बनाती है, जिसमें माजुली जैसे कुछ बड़े नदी द्वीप भी मिलते हैं! माजुली विश्व का सबसे बड़ा नदी द्वीप है!

ब्रह्मपुत्र नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ –

दीमा हसाओ (Dima Hasao) –

यह एक प्रमुख सहायक नदी है जो असम के दीमा हसाओ जिले से बहती है और ब्रह्मपुत्र के बाएं किनारे पर मिलती है।

मनास (Manas) –

यह नदी असम के पश्चिमी हिस्से से बहती है और ब्रह्मपुत्र के बाएं किनारे पर संगम करती है।

प्रश्न :- ब्रह्मपुत्र नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी कौन सी है?

उत्तर :- ब्रह्मपुत्र नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी सुबनसिरी है, जिसकी लंबाई लगभग 442 किमी. हैं!

प्रश्न:- ब्रह्मपुत्र नदी किस ग्लेशियर से निकलती है

उत्तर :- ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत के चांगतांग पठार में स्थित मानसरोवर झील और रूफो फो ग्लेशियर से उत्पन्न होती है। यहाँ पर इसे तिब्बत में “संगपो” (Yarlung Tsangpo) के नाम से जाना जाता है।

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