अरस्तू और कौटिल्य में तुलना (arastu or kautilya me tulna kijiye)

अरस्तू और कौटिल्य में समानता (arastu or kautilya me samanta) –

अरस्तू और कौटिल्य दोनों अपने समय के महान विचारक हैं! अरस्तू और कौटिल्य के विचार में अनेक समानता और असमानताएं पाये जाती हैं, जो इस प्रकार हैं –

(1) दोनो ही राज्य को साध्य मानते हैं। दोनों का उद्देश्य चरम नैतिक विकास है। 

(2) दोनो मानते है कि राज्य व्यक्ति की आवश्यकताओं की पूर्ति करता है।

(3) दोनो ही राज्य को सावयव मानते हैं। दोनो ही राज्य के संबंध को पुत्रतुल्य मानते हैं!

(4) दोनों ही राजनीति के व्यवहारिक स्वरूप से संबंध रखते हैं।

अरस्तू और कौटिल्य में असमानता (arastu or kautilya me asamanta) –

(1) अरस्तू गणतंत्र का समर्थक है, जबकि कौटिल्य राजतंत्र का

(2) अरस्तू राज्य के विकासवादी विचार और कौटिल्य समझौतावादी विचार का समर्थन करते हैं।

(3) अरस्तू अतिबौद्धिक विचारक है इसी कारण आदर्शवाद की ओर उन्मुख है, जबकि कौटिल्य पूर्णतः व्यवहारिक राजनीतिक है।

(4) अरस्तू नैतिकता को ही सर्वोपरि मानता है जो कि कौटिल्य नैतिकता का होता प्रयोग साधन और साध्य दोनों रूपों में करता हैं।

(5) अरस्तू वास्तविक अर्थो में राजनीतिक दार्शनिक है और राज्य सिद्धांत पर ध्यान देता है, जबकि कौटिल्य राजनीतिज्ञ है और प्रशासन कला पर अधिक महत्व देते हैं। 

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