प्रकाश संश्लेषण क्या है (What is Photosynthesis in hindi) –
पौधों में जल, प्रकाश, पर्णहरित तथा कार्बन डाइऑक्साइड की उपस्थिति में कार्बोहाइड्रेट के निर्माण की प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) कहते हैं! प्रकाश संश्लेषण के लिए कार्बन डाइऑक्साइड, पानी, क्लोरोफिल तथा सूर्य का प्रकाश आवश्यक है! स्थलीय पौधे वायुमंडल से कार्बन डाइ ऑक्साइड लेते हैं जबकि जलीय पौधे जल में घुली हुई कार्बन डाइ ऑक्साइड लेते हैं!
प्रकाश संश्लेषण का समीकरण (Photosynthesis equation in hindi)-
6CO2 + 12 H2O ———— C6H12O6 + 6H20 + 6O2
पत्ती की कोशिकाओं में जल शिरा से परासरण द्वारा एवं CO2 वायुमंडल से विसरण द्वारा लिया जाता है! प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक जल पौधों की जड़ों द्वारा अवशोषित किया जाता है एवं प्रकाश संश्लेषण के दौरान निकलने वाली ऑक्सीजन इसी जल से प्राप्त होता है!
प्रकाश संश्लेषण की दर लाल रंग के प्रकाश में सबसे अधिक एवं बैंगनी रंग के प्रकाश में सबसे कम होती है! प्रकाश संश्लेषण की क्रिया एक उपचयन और अपचयन अभिक्रिया है! इसमें जल का उपचयन ऑक्सीजन के बनने में तथा कार्बन डाइऑक्साइड का अपचयन ग्लूकोज के निर्माण में होता है!
प्रकाश संश्लेषण की क्रिया दो अवस्थाओं में होती है – (1) प्रकाश रासायनिक क्रिया या दीप्त अभिक्रिया (2) रासायनिक प्रकाशहीन क्रिया या अदीप्त अभिक्रिया! इससे यह नहीं समझना चाहिए कि अदीप्त अभिक्रिया सिर्फ अंधेरे में ही होती है और प्रकाश अभिक्रिया प्रकाश में! इसका सिर्फ यह मतलब होता है कि अदीप्त अभिक्रिया, जो एकल अभिक्रिया नहीं है, बल्कि अभिक्रिया श्रेणी है, उसको प्रकाश की आवश्यकता नहीं होती जबकि प्रकाश अभिक्रिया के लिए प्रकाश आवश्यक है!
(1) प्रकाश रासायनिक क्रिया (prakash rasayanik abhikriya) –
यह क्रिया क्लोरोफिल के ग्रेना भाग में संपन्न होती है इसे हिल क्रिया भी कहते हैं! इस प्रक्रिया में जल का अपघटन होकर हाइड्रोजन आयन तथा इलेक्ट्रॉन बनता हैं! जल के अपघटन के लिए ऊर्जा प्रकाश से मिलती है! इस प्रक्रिया के अंत में ऊर्जा के रूप में एटीपी एवं एन.ए.डी.पी. एच. निकलता है, जो रासायनिक प्रकाशहीन प्रतिक्रिया संचालित करने में मदद करता है!
(2) रासायनिक प्रकाशहीन प्रतिक्रिया (rasayanik prakashhin abhikriya) –
यह क्रिया क्लोरोफिल के स्ट्रोमा में होती है! इस क्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड का अपघटन होकर शर्करा एवं स्टार्च बनता है! आदित्य प्रिया के प्रथम उत्पाद के आधार पर पादकों को दो प्रकार में वर्गीकृत किया गया है C3 पादप और C4 पादप!
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