विश्व में वर्षा का वितरण बताइए (vishva mein varsha ka vitran)

वर्षा (Rainfall in hindi) –

जब जलवाष्प की बूंदे जल के रूप में धरातल पर गिरती है, तो उसे वर्षा कहते हैं! विश्व में वर्षा का वितरण भिन्न भिन्न प्रकार का हैं!

इसी प्रकार, जब जलवाष्प युक्त वायु तापमान में वृद्धि के कारण ऊपर उठती है और जब ऊपर जाने पर तापमान में कमी आती है, तो वायु में संघनन की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है! इस तरह बादलों का निर्माण होता है! कुछ समय पश्चात जल कणों की मात्रा इतनी अधिक हो जाती है कि वायु का विरोध इसे नहीं रोक पाता और यह जल बूंदों के रूप में धरातल गिरने लगता है जिसे वर्षा कहते हैं!

विश्व में वर्षा का वितरण (vishva mein varsha ka vitran) –

विश्व में वर्षा का वितरण इस प्रकार हैं –

(1) विषुवतरेखीय भारी वर्षां वाली पेटी (Equatorial Heavy Rain Belt) 

यहाँ संवाहनिक विधि से प्रतिदिन भारी वर्षा होती है। वर्षा के समय बादल भारी गर्जन वर्जन एवं विद्युत के साथ फूट पड़ते हैं। वर्षा होने के थोड़ी देर बाद बादलों से आकाश साफ हो जाता है। भूमध्यरेखीय वर्षा की पेटी का क्षेत्र 10° अक्षांश उत्तर तथा दक्षिण के मध्य पाया जाता है लेकिन पृथ्वी की भ्रमणशील गति के कारण यह पेटी उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों की ओर खिसकती रहती है। यहाँ पर लगभग 200 सेण्टीमीटर वार्षिक वर्षा होती है।

(2) व्यापारिक पवनों की वर्षा की पेटी (Trade Wind Rain Belt) –

 व्यापारिक पवनें अधिकांशतः सागरों से गुजरकर महाद्वीपों के पूर्वी भागों पर अधिक वर्षा करती है। इन पवनों से महाद्वीपों के आन्तरिक भागों में धीरे-धीरे वर्षा की मात्रा कम होती जाती है, जबकि महाद्वीपों के पश्चिमी भागों में हवाएं शुष्क रहने एवं थल से सागर की ओर चलने से अधिकांश मरुस्थल वहाँ पाये जाते है। इस प्रकार की वर्षा का अक्षांशीय विस्तार भूमध्य रेखा से 15° से 30° उत्तरी तथा दक्षिणी अक्षांशों तक होता है। यही अक्षांश मानसूनी वर्षा के प्रदेश भी कहलाते हैं जहाँ पर श्रीष्मकाल की सागरीय मानसूनी पवनों द्वारा अच्छी वर्षा होती है। यहीं पर उष्णकटिबन्धीय चक्रवात भी चलते है। पर्वतीय भागों के निकट ऐसी वर्षा सबसे अधिक होती है।

(3) उपोष्ण कटिबन्धीय अर्द्ध-शुष्क पेटी (Sub Tropical Semi-dry Belt) –

यहाँ पर हवाओं के स्थल से सागर की ओर चलने से प्रति चक्रवातीय स्थिति बन जाती है और वर्षा नहीं होती है। वर्षा का वार्षिक औसत 20 सेण्टीमीटर या इससे भी कम पाया जाता है। मिस्र, सहारा, भारत में चार का मरुस्थल भी इन्हीं अक्षांशों में आता है। इस प्रकार की वर्षा का अक्षांशीय विस्तार उत्तरी तथा दक्षिणी गोलार्द्ध से 20° से 35° अक्षांशों तक पाया जाता है। यहाँ केवल ग्रीष्मकाल में ही वर्षा होती है।

(4) भूमध्यसागरीय वर्षा की पेटी (Mediterranean Rain Belt) –

 यहाँ पर है। ग्रीष्मकाल में वर्षा नहीं होती। ग्रीष्मकाल में इन क्षेत्रों तक स्थल से सागर की ओर व्यापारिक हवाएँ चलने के कारण यह भाग वर्षाविहीन रह जाता है। यहाँ पर अधिकांशतः शीतकाल में पछुआ हवाओं की पेटी के प्रभाव से शीतोष्ण चक्रवातों द्वारा वर्षा होती है। वर्षा का वार्षिक औसत 60 से 80 सेण्टीमीटर तक रहता है। इस प्रकार की वर्षा का अक्षांशीय विस्तार 30° से 40° अक्षांशों के बीच उत्तरी तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में पश्चिमी तट पर पाया जाता है।

(5) शीतोष्ण प्रदेशों की अधिकतम वर्षा की पेटी (Maximum Rain Belt of Temperate Regions)-

 इसे महाद्वीपीय अधिकतम वर्षा की पेटी भी कह सकते हैं। यहाँ महाद्वीपों के पश्चिमी भाग में अधिकतम वृष्टि होती है। यहाँ भी वर्षा शीतकाल में अधिक होती उण्डो ह है। यहाँ ध्रुवों की ओर से आने वाली ठण्डी पवनों एवं पछुआ पवनों के आपस में मिलने से अभिसरण (Convergence) प्रक्रिया होती है। इसी से शीतोष्ण चक्रवात बनते हैं व उनसे भारी वर्षा होतो है। वर्षा का वार्षिक औसत 80 से 150 सेण्टीमीटर तक होता है। उत्तरी गोलार्द्ध की अपेक्षा दक्षिणी है गोलार्द्ध में जलमण्डल के कारण वर्षा अधिक होती है। इस प्रकार की वर्षा का अक्षांशीय विस्तार 40 से 68° अक्षांश उत्तरी तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में रहता है।

(6) ध्रुव प्रदेशीय न्यूनतम वर्षा की पेटी (Minimum Rain Belt of Polar Region)- 

यहाँ भयंकर ठण्ड के कारण वर्षा हिम के रूप में होती है। यहाँ पर वर्षा का वार्षिक औसत 25 सेण्टीमीटर से भी कम रहता है तथा ध्रुवों की ओर कम होता जाता है। इस प्रकार की वर्षा का अक्षांशीय वितरण 65° अक्षांश से ध्रुवों तक दोनों गोलाद्धों में पाया जाता है। 

प्रश्न :- विश्व में सबसे अधिक वर्षा कहां होती है?

उत्तर :- विश्व में सबसे अधिक वर्षा भारत के मासिनराम (मेघालय) में होती है! यहाँ प्रतिवर्ष 1141 सेमी. वर्षा होती है! गारो, खासी एवं जयंतिया पहाड़ियों पर बंगाल की खाड़ी से आने वाली हवाएं (दक्षिण पश्चिम मानसून की शाखा) सर्वाधिक वर्षा लाती है, जिससे मासिनराम में सर्वाधिक वर्षा होती है! मासिनराम के पहले सर्वाधिक वर्षा चेरापूंजी में होती थी!

प्रश्न :- विश्व में सबसे कम वर्षा कहां होती है?

उत्तर :- विश्व में सबसे कम वर्षा अटाकामा मरूस्थल में होती है

प्रश्न :- विश्व में सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान मासिनराम किस राज्य में स्थित है

उत्तर :- विश्व में सबसे अधिक वर्षा भारत के मासिनराम (मेघालय) में होती है! यहाँ प्रतिवर्ष 1141 सेमी. वर्षा होती है!

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