पारदर्शिता क्या है (pardarshita kya hai) –
पारदर्शिता (pardarshita) का तात्पर्य शासन-पद्धति में नागरिकों को जुडाव से है यहां पर उन्हें प्रशासन के प्रत्येक कार्यो व निर्णयों को जानने की स्वतंत्रा होती है! पारदर्शिता सुशासन का प्रमुख लक्षण है! पारदर्शिता सरकार व नागरिकों के मध्य दूरी कम करने का कार्य करती है! किसी भी कल्याणकारी कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए पारदर्शिता का महत्वपूर्ण योगदान है! पारदर्शिता के माध्यम से जनता कार्यक्रमों के निर्माण में अपना योगदान देती है!
प्रशासन में पारदर्शिता प्रशासकों के उत्तरदायित्व को सुनिश्चित करने के साथ-साथ प्रशासन ने क्रिया-कलापों में जनता की भागीदारी का आधार निर्मित करती है! वर्तमान समय में जबकि सरकार से अपेक्षा की जा रही है कि वह अंदर की बजाए ज्यादा से ज्यादा बाहर हो, सूचना की सहज और निर्बाध उपलब्धता की महत्ता स्वयं सिद्ध है!
सरकार के बाहर होने का अर्थ है – उसके कार्यों की पारदर्शिता व शासन के कार्यों में लोगों की भागीदारी! एक प्रशासनिक संगठन को पारदर्शी माना जाता है, जब इसके निर्माण और काम करने का ढंग जनता के लिए, मीडिया की छानबीन के लिए और सार्वजनिक चर्चा के लिए खुला हो! शासन के पारदर्शी व्यवस्था सरकार के निर्णय निर्माण में जनता द्वारा सहभागी होने में सहायता करती है! इसके विपरीत शासकीय कार्यों में गोपनीयता भ्रष्टाचार व सार्वजनिक सत्ता के दुरुपयोग को बढ़ावा देती है और प्रशासकों को तानाशाह बना देती है!
पारदर्शिता का संबंध नैतिकता से भी है! पारदर्शिता के अभाव में ही सरकार धीमी, अक्षम और भ्रष्ट हो जाती है! पारदर्शिता (Transparency) एवं अन्य पक्षों को निम्न तरीके से समझा जा सकता है!
पारदर्शिता की अवधारणा (pardarshita ki avdharna)-
पारदर्शिता वर्तमान की समय की प्रमुख अवधारणा में से एक है! यह सरकारी निर्णयों और नीतियों में खुले पन को दर्शाता है! इसका अर्थ है कि लिए गए निर्णय और उनके प्रवर्तन नियमों और विनियमों के पालन करने के तरीके से किया जाता है! इसका तात्पर्य यह है कि जानकारी स्वतंत्र रूप से उपलब्ध है और सीधे उन लोगों के लिए उपलब्ध है जो इस तरह के फैसलों के परिवर्तन से प्रभावित होंगे!
पारदर्शिता के लाभ या महत्व (Paardarshita ke labh) –
पारदर्शिता का महत्व इस प्रकार हैं –
(1) सार्वजनिक कामकाज में पारदर्शिता बरतने से सार्वजनिक फंड का यथोचित इस्तेमाल संभव हो पाता है!
(2) सरकारी कार्य में पारदर्शिता लाने से जनसेवक समय और सार्वजनिक धन का दुरुपयोग नहीं कर पाते!
(3) पारदर्शिता सुनिश्चित करने से लोक सेवक तथा ग्राहक के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध कायम रहता है!
(4) पारदर्शिता बरतने से उन नियमों और कानूनों तथा प्रक्रियाओं की व्यर्थता उजागर हो जाती है, जो प्रशासन के लिए अवरोध का काम करते हैं!
(5) सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाने से अधिकारीगण कोई भी निर्णय लेने में सावधानी बरतते हैं तथा उनका निर्णय उद्देश्यपरक होता है! इस कार्य में वे किसी प्रकार का पक्षपात नहीं करते!
पारदर्शिता के लिए सरकारी प्रयास (pardarshita ke liye sarkari prayas) –
सार्वजनिक मामलों में पारदर्शिता की जरूरत को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने 2005 में सूचना का अधिकार यानी आरटीआई अधिनियमित किया! यह एक महत्वपूर्ण विधान है, जो लोगों को सशक्त बनाता है और पारदर्शिता को बढ़ावा देता है!
यद्यपि सूचना के अधिकार की संविधान में अप्रत्यक्ष रूप से गारंटी दी गई है! फिर भी कानून, शासन के सभी मामले के बारे में जानकारी की सुलभता सुनिश्चित करने के लिए नागरिकों के लिए एक व्यावहारिक व्यवस्था उपलब्ध कराता है! सूचना का कानून अत्यंत विस्तृत है और शासन के सभी मामलों को कवर करता है!
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