स्थाई बंदोबस्त क्या था? स्थाई बंदोबस्त की विशेषताएं, गुण और दोष

स्थाई बंदोबस्त क्या था (sthayi bandobast kya tha) –

स्थाई बंदोबस्त या इस्तमरारी बंदोबस्त व्यवस्था लार्ड कार्नवालिस द्वारा मुख्यतः बिहार, बंगाल, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश के बनारस डिवीजन तथा उत्तरी कर्नाटक में लागू की गई थी! इसके अंतर्गत ब्रिटिश भारत का लगभग 19% भू-भाग शामिल था! इन क्षेत्र में लागू की गई व्यवस्था के अंतर्गत चूंकि जमीदार के साथ स्थाई रूप से अनुबंध किया गया था, अतः इस व्यवस्था को स्थाई जमीदारी बंदोबस्त कहा गया! 

1793 में लार्ड कार्नवालिस ने 10 वर्षीय व्यवस्था को बदल कर स्थाई कर दिया क्योंकि उसका आकलन था कि भू राजस्व संबंधी प्रयोगों के लिए 10 वर्ष का समय अल्प है!

स्थाई बंदोबस्त के उद्देश्य क्या थे ( sthayi bandobast ke uddeshy kya the) – 

स्थाई बंदोबस्त व्यवस्था को अपनाने के पीछे निम्नलिखित कारण एवं उद्देश्य थे –

(1) प्रशासनिक झंझटों से बचना, ताकि अधिकारीयों का प्रयोग मुख्यतः ब्रिटिश साम्राज्य के सुदृढ़ीकरण हेतु किया जा सके! 

(2) ब्रिटिश साम्राज्य की रक्षा हेतु जमीदार के रूप में मित्रों का एक वर्ग तैयार करना, ताकि उसका प्रयोग द्वितीय सुरक्षा पंक्ति के रूप में किया जा सके! 

(3) स्थाई एवं अधिकतम भू राजस्व राशि प्राप्त करना, ताकि ब्रिटिश साम्राज्यवाद के प्रसार हेतु निश्चित योजना बनाई जा सके! 

(4) स्थाई बंदोबस्त में जमीदार वर्ग को प्राथमिकता देने के पीछे एक उद्देश्य गांवों में समृद्धशाली वर्ग का निर्माण करना था, ताकि ब्रिटिश वस्तुओं को ग्रामीण क्षेत्रों में भी बाजार प्राप्त हो सके तथा नगरीय क्षेत्रों से मुद्रा का प्रवाह ग्रामीण क्षेत्रों की ओर भी हो सके! 

(5) कृषि योग्य भूमि एवं उत्पादकता में वृद्धि की जा सके! वस्तुत:  कृषि क्षेत्र में सुधार हेतु महत्वपूर्ण भूमिका अंग्रेज या जमीदार या कृषकों के द्वारा निभाई जा सकती थी! चूंकि अभी कंपनी के अधिकारी कृषि क्षेत्र में निवेश नहीं करना चाहते थे और न ही कृषकों की आर्थिक स्थिति इस योग्य थी कि वे इस क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके! इसलिए इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु जमींदारों के साथ बंदोबस्त किया गया!  

स्थाई बंदोबस्त की विशेषताएं (sthayi bandobast ki visheshta) –

(1) इस व्यवस्था में जमीदारों को भूमि का मालिक माना गया तथा उन्हें जमीन की खरीदी बिक्री का अधिकार भी दिया गया! 

(2) यह अनुबंध स्थाई रूप से जमीदारों के द्वारा किया गया था, अर्थात – उत्पादन में चाहे वृद्धि हो या कमी कंपनी को एक निश्चित राशि ही प्राप्त होती थी! 

(3) भूमि पर जमीदारों का अधिकार तब तक होता था, जब तक वह निश्चित तिथि को नियत राशि सरकार को देते रहते थे! किंतु 1794 के सूर्यास्त कानून के अनुसार अगर निश्चित तिथि की शाम तक जमीदार भू-राजस्व नहीं चुका पाता तो, संबंधित जमीदार की जमीदारी नीलाम कर दी जाती थी!  

(4) भू राजस्व में से 1/11 हिस्से पर जमीदार का, जबकि 10/11 इ हिस्से पर सरकार का अधिकार होता था! 

(5) स्थाई बंदोबस्त से जमींदारों को तो फायदा हुआ, परंतु किसानों को नुकसान हुआ! 

स्थाई बंदोबस्त के गुण या सकारात्मक प्रभाव (sthayi bandobast ke gun ya sakaratmak prabhav) –

(1) इस अवस्था में ब्रिटिश अधिकारियों की कम भागीदारी थी जिससे इनका उपयोग इन क्षेत्रों में ब्रिटिश साम्राज्य को मजबूती प्रदान करने हेतु किया जा सका! 

(2) ब्रिटिश सरकार को स्थाई रूप से एक बड़ी राशि प्राप्त होने लगी, जिसकी सहायता से अंग्रेजों ने एक मजबूत सेना का निर्माण किया और अपने साम्राज्य का विस्तार किया तथा ब्रिटिश प्रशासनिक एवं न्यायिक अधिकारियों को बेहतर वेतन-भत्ते प्रदान किए!    

(3) कृषि के वाणिज्यकरण को प्रोत्साहन मिला, जिससे भारत की स्वावलंबी अर्थव्यवस्था का अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था से जुड़ाव हुआ! 

(4) भारतीय जमीदारों को भी इस व्यवस्था से लाभ हुआ तथा उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति मजबूत हुई! इस धन का उपयोग बहुत से जमीदारों ने शैक्षणिक, कलात्मक, औद्योगिक एवं व्यवसायिक विकास के लिए भी किया! 

(5) ब्रिटिश सरकार को जमींदारों के रूप में द्वितीय सुरक्षा पंक्ति प्राप्त हो सके, उदाहरण के लिए – 1857 के विद्रोह में बहुत से जमीदार ने विद्रोहियों का साथ नहीं दिया, बल्कि विद्रोह को कुचने में अंग्रेजों की सहायता की! 

स्थाई बंदोबस्त के दोष या नकारात्मक प्रभाव (sthayi bandobast ke dosh ya nakaratmak prabhav) —

(1) इस व्यवस्था से यद्यापि अंग्रेजों को बड़ी राशि अवश्य प्राप्त होने लगी, परंतु कृषि योग्य भूमि एवं उत्पादन वृद्धि होने के साथ-साथ सरकार की आय में वृद्धि नहीं हो सकी! 

(2) ग्रामीण क्षेत्र में परंपरागत जमीदारों को भी इस व्यवस्था का अधिक लाभ प्राप्त नहीं हुआ, क्योंकि भू-राजस्व की राशि भूमि की उत्पादकता को अधिक मानते हुए अधिक निश्चित की गई थी! इससे ये जमीदार निश्चित तिथि पर राजस्व जमा नहीं कर पाते थे, परिणामस्वरुप उनकी जमीदारी नीलाम कर दी जाती थी!

(3) सूर्यास्त कानून के अंतर्गत जमीदारी को नीलाम किए जाने से भी अनेक समस्या ने जन्म लिया!
प्रथम ब्रिटिश सरकार के प्रशासनिक झंझटे कम होने के बजाय बढ़ गई! द्वितीय इस व्यवस्था से दूरस्थ जमीदारी का निर्माण हुआ! ऐसे जमीदारों के द्वारा कृषकों का अधिकाधिक शोषण किया गया, जिससे कृषक उपद्रव और विद्रोह प्रारंभ हो गए, परिणामस्वरुप ब्रिटिश शासन का आधार पर भी कमजोर हो गया! 

तृतीय, ग्रामीण क्षेत्रों में कृषकों के विद्रोह होने पर ये दूरस्थ जमीदार ब्रिटिश सरकार के लिए कुछ खास मदद नहीं कर सके! चतुर्थ दूरस्थ जमीदारी के कारण न तो ग्रामीण क्षेत्र में समृद्धिशाली वर्ग का निर्माण हुआ और न ही शहरी क्षेत्र में मुद्रा प्रवाह ग्रामीण क्षेत्रों की ओर हो सका! इसके विपरीत ग्रामीण मुद्रा का प्रवाह शहरों की ओर होने लगा, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी, भुखमरी जैसी आर्थिक समस्याओं ने जन्म लिया!

प्रश्न :- स्थाई बंदोबस्त किसने और कब लागू किया था

उत्तर :- स्थाई बंदोबस्त या इस्तमरारी बंदोबस्त व्यवस्था लार्ड कार्नवालिस द्वारा मुख्यतः बिहार, बंगाल, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश के बनारस डिवीजन तथा उत्तरी कर्नाटक में लागू की गई थी! इसके अंतर्गत ब्रिटिश भारत का लगभग 19% भू-भाग शामिल था! इन क्षेत्र में लागू की गई व्यवस्था के अंतर्गत चूंकि जमीदार के साथ स्थाई रूप से अनुबंध किया गया था, अतः इस व्यवस्था को स्थाई जमीदारी बंदोबस्त कहा गया! 

प्रश्न :- अंग्रेजों द्वारा लागू की गई स्थाई बंदोबस्त नीति किससे संबंधित थी

उत्तर :- अंग्रेजों द्वारा लागू की गई स्थाई बंदोबस्त नीति भू-राजस्व से संबंधित थी जिसे लार्ड कार्नवालिस द्वारा मुख्यतः बिहार, बंगाल, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश के बनारस डिवीजन तथा उत्तरी कर्नाटक में लागू की गई थी

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