शैल गैस क्या है (shale gas kya hai upsc) –
शैल गैस प्राकृतिक गैस का ही एक प्रकार है, जो चट्टानों में पाए जाने वाले सूक्ष्म छिद्रों में उपस्थित होती है। प्राकृतिक गैस की भाँति यह भी हाइड्रो कार्बन का मिश्रण है, किन्तु यह अपेक्षाकृत कम मात्रा में पाई जाती है।
परम्परागत हाइड्रोकार्बन को जहां सहजता से पारगम्य चट्टानों से निकाला जाता है, वही शैल गैस निचले स्तर पर पारगम्य चट्टानों के नीचे फंस जाती है, इसलिए शैल गैस भण्डार की प्राप्ति हेतु कम दबाव वाली चट्टानों को तोड़ना पड़ता है। इन चट्टानों तक क्षैतिज खनन के द्वारा पहुंचा जाता है।
इस गैस को उत्पादित करने के लिए कृत्रिम उत्प्रेरण, जैसे- हाइड्रॉलिक फ्रैक्चरिंग की आवश्यकता होती है। फ्रैक्चरिंग प्रक्रिया भूमिगत चट्टानों में उच्च दबाव पर द्रव पदार्थ को इंजेक्ट करने की प्रक्रिया है। इसी के अन्तर्गत सम्बन्धित चट्टानों के भीतर छेद करके लाखों टन पानी इन पर डाला जाता है, जिससे चट्टानों में फंसे हाइड्रेट अणु मुक्त हो जाते हैं।
भारत में शैल गैस के मुख्य क्षेत्र कैम्बे ग्रैवन, गोंडवाना क्रम की शैलें, कृष्णा-गोदावरी बेसिन तथा कावेरी क्षेत्र में अवस्थित हैं। इस गैस के उत्खनन के लिए भारत में भारतीय गैस प्राधिकरण लिमिटेड को शीर्ष संस्था के रूप में नियुक्त किया गया है।
विश्व में शैल गैस के भंडार –
विश्व में अर्जेंटीना, अल्जीरिया, अमेरिका, कनाडा, मैक्सिको, ऑस्ट्रेलिया, रूस एवं ब्राजील के पास भी shale गैस भण्डार हैं।
शैल गैस के उत्पादन में चुनौतियां
इस गैस उत्पादन में निम्नलिखित चुनौतियों को पहचाना गया है
1) निष्कर्षण के समय सीमित मात्रा में मीथेन गैस का उत्सर्जन
2) फ्रैक्चरिंग की प्रक्रिया में मीथेन दूषित जल का सतह पर आना।
3) शैल चट्टानें सामान्यतः पीने योग्य पानी के नजदीक होती हैं, जिन्हें एक्वाइफर्स कहा जाता है। फ्रैक्चरिंग के दौरान इनमें शैल तरल पदार्थ प्रविष्ट हो सकता है, जिससे पीने एवं सिंचाई के लिए उपयोग में लाया जाने वाला भूजल मीथेन के कारण विषाक्त हो सकता है।