जैविक खेती किसे कहते हैं? जैविक खेती के प्रकार, लाभ-हानि, घटक, सिद्वांत

जैविक खेती किसे कहते हैं (organic farming in hindi) –

जैविक खेती से आशय कृषि की ऐसी प्रणाली से है जिसमें रासायनिक खाद एवं कीटनाशक दवाओं का प्रयोग नहीं किया जाता बल्कि उसके स्थान पर जैविक खाद्य या प्राकृतिक खाद का प्रयोग किया जाता है! जैविक कृषि, कृषि की एक पारंपरिक विधि है जिसमें भूमि के स्वास्थ्य में सुधार होने के साथ ही पर्यावरण प्रदूषण भी कम होता है! जैविक कृषि पद्धतियों को अपनाने से धारणीय कृषि, जैव विविधता संरक्षण एवं पर्यावरण संरक्षण आदि लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है! 

संपूर्ण विश्व में बढ़ती हुई जनसंख्या हेतु भोजन की आपूर्ति के लिए मानव द्वारा अधिक-से-अधिक उत्पादन हेतु तरह-तरह की रासायनिक खादों, जहरीले कीटनाशकों का उपयोग, प्रकृति के जैविक एवं अजैविक पदार्थों के मध्य चक्र को प्रभावित करता है जिससे भूमि की उर्वरक शक्ति खराब हो जाती है! साथ ही वातावरण दूषित होने से मनुष्य के स्वास्थ्य में भी गिरावट आती है! उपरोक्त समस्याओं से निपटने हेतु टिकाऊ खेती के सिद्धांत को अपनाया, जिसे ‘जैविक खेती’ के नाम से जाना जाता है!

जैविक खेती के प्रकार (types of organic farming in hindi) –

(1) एकीकृत जैविक कृषि

(2) शुद्व जैविक कृषि

(1) एकीकृत जैविक कृषि – 

एकीकृत जैविक खेती में पारिस्थितिक आवश्यकताओं और मांगों को प्राप्त करने के लिए कीट प्रबंधन और पोषक तत्वों के प्रबंधन का एकीकरण शामिल है।

(2) शुद्व जैविक कृषि –

शुद्ध जैविक खेती का अर्थ है सभी अप्राकृतिक रसायनों से बचना। खेती की इस प्रक्रिया में, सभी उर्वरक और कीटनाशक प्राकृतिक स्रोतों जैसे अस्थि भोजन या रक्त भोजन से प्राप्त किए जाते हैं!

जैविक खेती के घटक (components of organic farming in hindi) – 

(1) कार्बनिक खाद

(2) जैविक खरपतवार नियंत्रण पद्धति

(3) जैविक कीट एवं रोग प्रबंधन    

जैविक खेती के सिद्वांत (principles of organic farming in hindi) – 

(1) मिश्रित कृषि

(2) कार्बनिक चक्र अनुकूलन

(3) फसल आवर्तन

(1) मिश्रित कृषि –

जैविक कृषि प्रणाली में, व्यक्ति उपयुक्त विविधीकरण के लिए प्रयास करता है, जिसका आदर्श रूप से मिश्रित खेती, या खेत पर फसल और पशुधन उत्पादन का एकीकरण है। इस तरह, कृषि-पारिस्थितिकी तंत्र में चक्रीय प्रक्रियाओं और अंतःक्रियाओं को अनुकूलित किया जा सकता है, जैसे फसल उत्पादन के लिए पशुपालन और खाद में फसल अवशेषों का उपयोग करना 

जैविक खेती के उद्देश्य (Objectives of organic farming) –

जैविक कृषि करने का मुख्य उद्देश्य  यह है कि रासायनिक उर्वरकों का उपयोग न हो तथा इसके स्थान पर जैविक उत्पाद का अधिक से अधिक प्रयोग किया जाए! मिट्टी की अच्छी संरचना और उर्वरता बनाए रखें और उसका निर्माण करें! कीटों, रोगों और खरपतवारों के प्रकोप को नियंत्रित किया जाए! जैविक खेती को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाना! 

जैविक खेती के लाभ (benefits of organic farming in hindi) – 

(1)  जैविक कृषि से मृदा की उर्वरता एवं गुणवत्ता में सुधार होता है! 

(2) जैविक कृषि जैव विविधता, पर्यावरण, प्रकृति कृषि और स्वास्थ्य संरक्षण की दृष्टि से लाभदायक हैं! 

(3) जैविक उत्पादों का उपयोग करने से मनुष्यों एवं पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती हैं! 

(4) जैविक कृषि को अपनाकर किसान कृषि को स्थायी एवं टिकाऊ बना सकते हैं! 

(5) रासायनिक उर्वरकों पनीर भरता कम होने से लागत में कमी आती है! 

(6) जैविक खेती में उपयोग होने वाले जैविक खादों एवं जैविक कीटनाशकों का निर्माण स्वयं किसान कर सकते हैं! 

(7) जैविक खेती के द्वारा पर्यावरण में संतुलन स्थापित किया जा सकता हैं! 

जैविक खेती के नुकसान या हानि (disadvantages of organic farming in hindi) –

(1) जैविक कृषि में शुरुआती समय में उत्पादन में कुछ गिरावट आ सकती है इस भय के कारण किसान जैविक कृषि को अपनाने डरते हैं, तो ऐसे तो उन्हें अलग से प्रोत्साहन देना जरूरी है!

(2) भूमि संसाधनों को जैविक खेती से रासायनिक में बदलने में अधिक समय नहीं लगता परंतु रासायनिक कृषि से जैविक कृषि में जाने में समय लगता है! 

(3) आधुनिक रासायनिक शेती ने मेरा में उपस्थित सूक्ष्म जीवाणुओं को नष्ट कर दिया है अत: उनके पुनः निर्माण में 3 से 4 वर्ष का समय लग सकता है! 

(4) विपणन और वितरण कुशल नहीं है क्योंकि जैविक खाद्य का उत्पादन कम मात्रा में होता है।

(5) जैविक फार्मों को कठिन प्रमाणन प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है।

(6) उत्पादन लागत अधिक होती है क्योंकि किसानों को अधिक श्रमिकों की आवश्यकता होती है।

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