न्यूक्लियर फॉलआउट क्या है? न्यूक्लियर फॉलआउट के प्रभाव

न्यूक्लियर फॉलआउट क्या है (what is nuclear fallout in hindi) –

जब परमाणु बम का विस्फोट किया जाता है, तो रेडियो एक्टिव आइसोटोप्स हवा के साथ नीचे गिरते है और पेड़-पौधों पर जम जाते है। यह घटना न्यूक्लियर फॉलआउट कहलाती है। इस घटना से जनजीवन के स्वास्थ्य को अनेक हानियां होती है तथा विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न होते है। 

न्यूक्लियर फॉलआउट का मानव जीवन पर प्रभाव (Effects of nuclear fallout on humans in hindi)

फॉलआउट से मानव जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। यह प्रभाव विकिरण की भेदन क्षमता व परमाणु स्रोत की अवस्थिति पर निर्भर करता है। अधिक भेदन क्षमता वाली गामा विकिरण अन्य विकिरण के मुकाबले बहुत नुकसानदायी होती है।

बीटा विकिरण शरीर के अंदरूनी अंगों पर प्रभाव डालती है, जबकि अल्फा विकिरण को त्वचा के द्वारा रोक लिया जाता है। न्यूक्लियर फॉलआउट मानव जीवन के साथ पृथ्वी की सतह तथा उसके समस्त परिवेश को भी प्रभावित करता है, जो इस प्रकार है – 

(1) रेडियाधर्मी प्रभाव से प्राणियों के जीन व गुणसूत्रों पर प्रभाव, जिनके अनुवांशिक प्रभाव से विकलांगता व अपंगता हो जाती है।

(2) इसके प्रभाव क्षेत्र में आने पर कैंसर जैसी घातक बीमारी हो सकती है।

(3) इससे त्वचा, खून की गुणवत्ता, हड्डियों में मौजूद अस्थिमज्जा, सिर के बालों का झड़ना जैसी कई बीमारियां हो सकती है। 

(4) फॉलआउट के प्रभाव के कारण गर्भ में पल रहे शिशु की मृत्यु तक हो सकती है।

(5) परमाणु विस्फोटों एवं दुर्घटनाओं से जल, वायु एवं भूमि का प्रदूषण ।

(6) फॉलआउट के प्रभाव से पेड़-पौधों, जीव-जंतुओं, खाद्य सामग्री आदि प्रभावित होती है।

न्यूक्लियर फॉलआउट का जलीय जीवन पर प्रभाव

पानी की गुणवत्ता में जैविक, रासायनिक या प्राकृतिक परिवर्तन, जो कि सजीवों पर हानिकारक प्रभाव डालता है। ये पानी को वांछित उपयोग के अनुपयुक्त बनाता है। रासायनिक जल प्रदूषण का एक प्रकार रेडिया सक्रिय कचरा है। 

इसमें उदाहरण के तौर पर रेडॉन, यूरेनियम, सीजियम और थोरियम शामिल है। इन रसायनों का प्राकृतिक स्रोतों के माध्यम से जलीय तंत्र में प्रवेश होता है और पीने के पानी के माध्यम से मानव शरीर में प्रवेश होता है। इस कारण से कई’ अनुवांशिकी परिवर्तन, गर्भपात, जन्मदोष आदि बीमारियां होती है।

न्यूक्लियर फॉलआउट का वायुमण्डल में प्रभाव –

वायुमण्डल में फॉलआउट परमाणु दुर्घटनाओं के परिणामस्वरूप होता है। दुनिया को इसका एहसास पहली बार 6 अगस्त, 1945 और 9 अगस्त, 1945 को हुआ जब अमेरिका ने जापान के दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बग गिराए। तबाही में करीब दो लाख लोग तुरंत मर गए और पूरा शहर नष्ट हो गया।

वर्तमान समय में फॉलआउट से निकलने वाली खतरनाक किरणें वहां के वायुमंडल में उपस्थित है। उन किरणों के प्रभाव में आकर जन्तुओं में कई प्रकार की बीमारियां उत्पन्न होती है।

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