मनोबल से आप क्या समझते हैं मनोबल का महत्व,विशेषताएं

मनोबल का अर्थ (morale in hindi) –

प्रशासन में कार्यकुशलता हेतु जो तत्व सहायक होते हैं, उनमें मनोबल भी एक महत्वपूर्ण तत्व हैं क्योकि मनोबल द्वारा ही प्रशासनिक संगठन के सभी क्रियाएँ संचालित होती है, इसलिए लोक सेवकों का मनोबल ऊंचा होना बहुत आवश्यक है और उच्च मनोबल बनाए रखने के लिए भी अभिप्रेरणा सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटक है अर्थात मनोबल और अभिप्रेरणा परस्पर अंतसंबंधित है! 

मनोबल (manobal) ही वह आंतरिक शक्ति है जो लोक सेवकों को उनकी कार्यकुशलता और क्षमता को बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है! यह कार्य से संबंधित व्यक्तियों एवं समूह की अभिव्यक्ति, व्यवहारों, मनोभावों व संवेगों का सम्मिश्रण है! मनोबल अर्थात मन का बल, व्यक्ति की आंतरिक मानसिक शक्ति तथा आत्मविश्वास का पर्याय है! 

मनोबल की परिभाषा (manobal ki paribhasha) –

एम. एस. वाइटल्स के अनुसार – मनोबल, संतुष्टि की अभिवृद्धि, निरंतरता की इच्छा है, जो किसी विशिष्ट समूह या संगठन के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए दृढ़ इच्छा एवं सहमति का प्रतीक है! 

मनोबल की विशेषताएं (manobal ki visheshta) –

(1) मनोबल, व्यक्ति या उसके समूह में कार्यरत व्यक्तियों के आंतरिक बल तथा आत्मविश्वास का परिचायक है! 

(2) यह अनेक मनोवैज्ञानिक गुणों का निर्धारण करने का मिश्रण है! 

(3) यह कार्मिकों के व्यवहार को निर्धारित करने का एक मनोवैज्ञानिक तत्व है! 

(4) सामान्यतः मनोबल सामूहिक होता है अर्थात सामूहिक का अभिवृत्ति का परिचय देता है! 

(5) एक मानसिक या स्वयं उदभूत आंतरिक प्रेरणा है! 

मनोबल का महत्व या प्रभाव (Importance or effect of morale in hindi) –

किसी भी व्यक्ति, संगठन, समाज एवं राष्ट्र की भावी विकास के लिए मनोबल को ऊॅंचा होना बहुत आवश्यक होता है, क्योंकि मनोबल व्यक्ति एवं समूह को उत्साह, निष्ठा एवं दृढ़ता के साथ कार्यो को निष्पादित करने की अभिप्रेरणा में वृद्धि करता है! उच्च मनोबल संगठन को सफलता की ओर अग्रसर करता है, जबकि निम्न मनोबल संस्था के विकास में अवरोध उत्पन्न करता है! 

किसी संस्था में कर्मचारियों का अनुशासन में रहना, अधिकारियों के आदेश की अनुपालना करना, प्रसन्नचित एवं मनोबल व्यक्ति के उत्साह, सक्रिय सहयोग, संतुष्टि एवं प्रशंसा में परावर्तित होता है! उच्च मनोबल वाले व्यक्ति का समूह सदैव अपनी पूर्ण क्षमता के साथ, बिना किसी तनाव, झगड़े, ईष्या के अपने कार्यों का निष्पादन करने की भावना रखते हैं तथा अपनी इस भावना या इच्छा को कार्य रूप में परिणित भी करते हैं! 

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