मध्य प्रदेश के इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएं एवं प्रमुख राजवंश (madhya pradesh ke itihaas ki mahatvpurn ghatnayen)

मध्य प्रदेश के इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएं (madhay pradesh itihasik ghatnayen)

 

मध्य प्रदेश के इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएं (madhya pradesh ke itihaas ki mahatvpurn ghatnayen) –

मध्य प्रदेश के इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएं (madhay pradesh ki itihasik ghatnayen) इस प्रकार है,

  • मध्य प्रदेश प्राचीनतम गोंडवाना लैंड का हिस्सा है !
  • मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित भीमबेटका की शैलवत गुफाएं तथा होशंगाबाद जिले की आदमगढ़ की सभ्यता, प्रागैतिहासिक सभ्यता का प्रतिनिधित्व करती हैं !
  • कायथा ताम्र पाषाण संस्कृति से संबंधित है यहां से ताम्र पाषाण युग की तांबे की चूड़ियाँ तथा दो कुल्हाड़ी प्राप्त हुई है
  • एक अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि मध्य प्रदेश के कुछ भागों में विशेषकर नर्मदा, चंबल, बेतवा आदि नदियों के किनारे पर सिंधु सभ्यता का विकास हुआ था!
  •  ऋग्वेद में मध्यप्रदेश के लिए दक्षिणापथ और रेवोत्तर शब्दों का प्रयोग किया गया है!
  • पुरूकुत्स ने गंधर्व को पराजित किया था.पुरूकुत्स का विवाह नर्मदा के साथ हुआ था पुरूकुत्स नेे ही रेवा का नाम नर्मदा कर दिया था!
  • मांधाता नगरी (ओकारेश्वर) की स्थापना मुचुकुन्द ने की थी!
  • हैहय राजा महिष्मति ने नर्मदा के किनारे महिष्मति नगर की स्थापना की! इन्होंने इक्ष्वाकुओं और नागों को पराजित किया था!
  • कीर्तिवीर्य अर्जुन हैहय वंश के सबसे प्रतापी सम्राट थे !
  • रामायण काल में ही सर्वप्रथम नर्मदा नदी का उल्लेख हुआ है !
  • रामायण के समय में मध्यप्रदेश में दंडकारण्य, महावन ,महाकांतार के घने वन क्षेत्र थे !
  • भगवान राम ने वनवास के दिन चित्रकूट, विंध्यांचल पर्वत और नर्मदा के समीपवर्ती क्षेत्रों में बिताए थे!
  • शत्रुघ्न के पुत्र शत्रुघाती ने विदिशा पर शासन किया और बिलासपुर इनकी राजधानी थी !
  • महाभारत के अनुसार महिष्मति का नाम महेशपुर था !
  • पांडवों ने अज्ञातवास का कुछ समय अवंती के वनों में बिताया था!
  • चेदी तथा अवन्ति जनपद का संबंध मध्य प्रदेश के इतिहास से है!
  • उत्तरी अवंति की राजधानी उज्जैनी तथा दक्षिणी अवंति की राजधानी माहिष्मती थी इन दोनों क्षेत्रों के मध्य से बेतवा नदी प्रवाहित होती थी !
  • चण्डप्रद्दोत उज्जैनी के शासक थे, जीवक ने इनका उपचार किया था !
  • मध्य प्रदेश का कुछ क्रमबद्ध इतिहास मौर्य काल से प्राप्त होता है!
  • सम्राट बिंदुसार के पुत्र युवराज अशोक को विदिशा का राज्यपाल नियुक्त किया गया था. अशोक ने विदिशा के श्रेष्ठी की पुत्री श्रीदेवी से प्रेम विवाह किया था!
  • अशोक ने उज्जैनी और कसरावद( निमाड़) में स्तूप का निर्माण करवाया और सम्राट बनने के बाद अशोक ने सांची, रायसेन एव भरहुत (सतना) के विश्व प्रसिद्ध स्थलों का निर्माण कराया
  • सम्राट अशोक ने रूपनाथ ( जबलपुर), वेसनगर
  •  (विदिशा),पवाया, एरण, आदि स्थानों पर स्तंभ स्थापित कराए थे!
  • पुष्यमित्र शुंग का पुत्र अग्निमित्र विदिशा का राज्यपाल था तथा उसने विदर्भ राज्य के राज्यपाल का कार्यभार अपने मित्र माधवसेन को सौंपा!
  • शुंग शासक बागभद्र के शासनकाल में तक्षशिला के यवन नरेश एंटियोकस का राजदूत हेलियोडोरस विदिशा के दरबार में उपस्थित हुआ!
  • हेलियोडोरस ने भागवत धर्म ग्रहण कर लिया तथा विदिशा के पास बेसनगर में गरुड़ स्तंभ की स्थापना कर भगवान विष्णु की पूजा की!
  • सांची के बड़े स्तूप की वेदिका पर उत्कीर्ण एक लेख से शातकर्णी के पूरी मालवा क्षेत्र पर अधिकार का ज्ञान होता है!
  • गौतमीपुत्र शातकर्णी के साम्राज्य में अनूप, आगर, अवंती आदि शामिल थे!
  • शातकर्णी के शासनकाल में रोम के साथ व्यापार में वृद्धि हुई इसलिए रोम के सिक्के मध्य प्रदेश के आवरा, चकरबेड़ा तथा बिलासपुर से प्राप्त हुए हैं!
  • बालाघाट से मिनांडर के सिक्के प्राप्त हुए हैं !
  • कुषाण शासक विम कडफिफेस का एक सिक्का विदिशा जिले से प्राप्त हुआ है!
  • विम कडफिफेस का उत्तराधिकारी कनिष्का प्रथम हुआ, जिसने 78 ईसवी में शक संवत प्रारंभ किया! कनिष्का के 324 सिक्के को कुषाण शासकों की निधि से शहडोल से प्राप्त हुए हैं!
  • कुषाण शासक वासुदेव प्रथम द्वारा चलाया गया एक तांबे का सिक्का जबलपुर जिले के तेवर नामक स्थान से प्राप्त हुआ है
  • नागवंश का संस्थापक वृषनाथ था तथा नागों की राजधानी पद्मावती (पवाया) थी!
  • मघराज वंश के शासक कोत्सीपुत्र पोठसिरि की राजधानी बांधवगढ़ थी!
  • उज्जैनी गुप्त सम्राट चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) की राजधानी रही है ! इन्होंने विक्रम संवत प्रारंभ किया था
  • मंदसौर अभिलेख की रचना संस्कृत विद्वान वत्सभट्टी ने की थी इस लेख में सूर्य मंदिर के निर्माण का उल्लेख किया गया है!
  • तुमेन अभिलेख अशोकनगर जिले में स्थित है इसमें राजा (रामगुप्त) को शरदकालीन सूर्य की भांति बताया गया है!
  • सुपिया अभिलेख में गुप्त वंश को घटोत्कच वंश भी कहा गया है जिसमें गुप्त संवत 141-460 ई. की तिथि लिखी है!
  •  
  •  वाकाटक राजवंश का प्रथम शासक विंध्यशक्ति प्रथम था उसका शासनकाल 205 ई. से 270 ई. के बीच था
  • वाकाटक शासक कंवर सेन ने अश्वमेध यज्ञ किया था और नागवंशीयो साथ वैवाहिक स्थापित किए थे!
  • वाकाटक शासक पृथ्वीसेन के मांडलिक व्याग्रदेव के दो शिलालेख नचना तथा गंज से प्राप्त हुए हैं!
  • सागर जिले के एरण में उपलब्ध एक विशालकाय वाराह मूर्ति पर प्रमाण के हूण शासनकाल के प्रथम वर्ष के अभिलेख उत्कीर्ण है!
  • ग्वालियर दुर्ग से प्राप्त अभिलेख में वो पर्वत पर सूर्य मंदिर के निर्माण का उल्लेख है जिसका निर्माण हूण शासक मिहिरकुल ने करवाया था!
  • मंदसौर के औलिकर वंशीय यशोधर्मन ने मिहिरकुल को पराजित कर मालवा से खदेड़ दिया था!
  • शरभपुरीय वंश का संस्थापक शरभ नामक राजा था और इसी के नाम पर इसकी राजधानी का नाम शरभपुर पड़ा!
  • चीनी यात्री हेनसांग के वर्णन से यह ज्ञात होता है कि मैत्रक वंशीय शासक महाराज शिलादित्य प्रथम वल्लभी में राज कर रहा था !
  • प्राचीन अनूपपुर जिले का अमरकंटक तथा उसके आसपास के भाग को प्राचीन काल में मेकल के नाम से जाना जाता था !
  • खजुराहो से प्राप्त मूर्ति पर हर्ष संवत 298 की तिथि उत्कीर्ण है ! हर्ष प्राचीन भारत का अंतिम हिंदू सम्राट था जो अपने शासनकाल के दौरान वर्तमान मध्य-प्रदेश के प्राचीन प्रांतों यथा पूर्वी मालवा, पश्चिमी मालवा, उज्जैन आदि प्रांतों का शासन था!
  • हर्ष को पुलकेशिन द्वितीय ने नर्मदा नदी के तट पर युद्ध में पराजित किया था !
  • गुर्जर प्रतिहार शासक मिहिर भोज ने नर्मदा नदी के तट पर राष्ट्रकूट नरेश कृष्ण तृतीय को युद्ध में पराजित किया था!
  • धार के परमार वंश का संस्थापक उपेंद्र (कृष्णराज ) थे.
  • परमाणु शासक मुंज ने धार में मुंज सागर झील एवं देवी कालका मंदिर का निर्माण करवाया था !
  • मुंज के दरबार में नवसाहसांक चरित्र के लेखक पदमगुप्ता ,दशरुपक के लेखक धनंजय, यशोरूपावलोक के रचयिता धनिक रहते थे!
  • परमार वंश के सबसे प्रसिद्ध शासक राजा भोज हुए हैं जो एक विद्वान और ज्ञानी शासक थे! !इनका मध्य प्रदेश के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है! 
  • राजा भोज ने धार के सरस्वती मंदिर में प्रसिद्ध संस्कृत विद्यालय की स्थापना करवाई थी
  • राजा भोज ने सिद्धांत संग्रह, सरस्वती कंठाभरण, समरांगणसूत्र,धार तत्व प्रकाश, योगसूत्रवृत्ती, विद्या विनोद ,आदि ग्रथों की रचना की थी इसलिए उन्हें कविराज की उपाधि दी गई थी !
  • धार पर चालूक्य नरेश सोमेश्वर द्वितीय ने आक्रमण किया था इसमें राजा भोज की हार हुई! यह जानकारी मंगाई लेख से प्राप्त होती है!
  • उनकी मृत्यु से विद्या और विद्वान दोनों निराश्रित हो गए!
  • रायसेन का भोजपुर मंदिर, भोपाल शहर, भोपाल का तालाब,धार की भोजशाला आदि का निर्माण राजा भोज ने करवाया था!
  • भोजपुर के शिव मंदिर का मध्य प्रदेश का सोमनाथ मंदिर कहा जाता है !
  • त्रिपुरी के कलचुरि वंश की स्थापना कोक्कल प्रथम ने की थी जिसकी राजधानी त्रिपुरी (तेवर) थी!
  • राजशेखर की रचना विद्वशालभंजिका में युवराज को उज्जैनी भुजंग अर्थात मालवा का विजेता कहां गया है
  • चंदेल वंश की स्थापना नन्नुक नामक व्यक्ति ने 831 ई.में की थी.इनकी राजधानी खजुराहो थी इन्हें चन्द्रात्रेय ऋषि का वंशज कहां गया है जो आत्रि के पुत्र थे!
  • चंदेल शासक यशोवर्मन ने खजुराहो में प्रसिद्ध विष्णु मंदिर का निर्माण करवाया !
  • चंदेल शासक धंगदेव ने कलिंजर का अपना अधिकार कर उससे अपनी राजधानी बनाया, उसके बाद ग्वालियर पर अधिकार जमाया !
  •  धंगदेव ने खजुराहो में पार्श्वनाथ, विश्वनाथ तथा वैद्यनाथ मंदिर का निर्माण करवाया था!
  • धंगदेव ने प्रयाग में गंगा जमुना के पवित्र संगम पर समाधि लेकर अपना शरीर त्याग दिया !
  • गंड ने जगदंबी और चित्रगुप्त मंदिर बनवाए !
  • चंदेल शासक परमर्दिदेव के दरबार में आल्हा एवं ऊदल नामक दो साहसी दरबारी रहते थे , जिन्होंने पृथ्वीराज चौहान से युद्ध करते समय अपने प्राणों की आहुति दे दी थी !

मध्यप्रदेश के प्रमुख राजवंश (madhya pradesh ke pramukh rajvansh) –

(1) परमार वंश

(2) होल्कर वंश

(3) सिंधिया वंश

(4) बघेल वंश

(1) परमार वंश  (Parmar vansh) –

नवी सदी के पूर्वार्ध में मालवा में एक नवीन राजवंश का उदय हुआ जो परमार राजवंश के नाम से जाना जाता है! परमार वंश के आरंभिक शासक उपेंद्र, वैरिसिंह, सियाक द्वितीय, आदि राजाओं ने अपना जीवन राष्ट्रकूट अथवा गुर्जर प्रतिहारों के सामन्त के रूप में प्रारंभ किया था! 

राजा भोज एक उच्च कोटि के कवि तथा लेखक थे! उन्होंने सरस्वती कंठाभरण,  समरांगण सूत्र, सिद्धांत संग्रह, धार तत्व प्रकाश, योगसूत्रवृति, विद्या विनोद आदि जैसे अनेक ग्रंथों की रचना की, इसलिए इन्हें कविराज की उपाधि भी प्रदान की गई थी! 

  •  इसके आगे का भाग मध्यकालीन मध्य प्रदेश के इतिहास में प्रकाशित किया जाएगा!

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