भूमि सुधार किसे कहते हैं (Land reform in hindi) –
भूमि सुधार (Land reform) का तात्पर्य प्रायः अमीरों से भूमि लेकर गरीबों को देना या बॉंटने को कहते हैं! विस्तृत रूप से भूमि सुधार में भूमि स्वामित्व, भूमि ऑपरेशन, भूमि की खरीद – फरोख्त तथा भूमि विरासत अर्थात उत्तराधिकार शामिल है!
भारत जैसे कृषि प्रधान देश जहां भूमि सीमित और भूमि का अभाव है तथा जहां अधिकतर ग्रामीण जनता गरीबी रेखा से नीचे रहती है वहां आर्थिक एवं राजनीतिक दृष्टि से भूमि सुधार अनिवार्य हो जाता है! भारत में भूमि सुधार का मुख्य उद्देश्य भूमि स्वामित्व के रूप में परिवर्तन करके ग्रामीण समाज के सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति में परिवर्तन आना है इसी कारण से स्वतंत्रता के पश्चात भूमि सुधार को प्राथमिकता दी गई थी!
भूमि सुधार सामाजिक समानता एवं सामाजिक न्याय के सिद्धांत पर आधारित है! इसके द्वारा कृषि भूमि का पुनः वितरण, भूमि स्वामित्व में परिवर्तन, खेतों की चकबंदी तथा भूमि के मालगुजारी (लगान) इत्यादि में परिवर्तन और सुधार करना है!
भारत में भूमि सुधार की आवश्यकता (bharat mein bhumi sudhar ki aavashyakta)-
भारत में भूमि सुधार की आवश्यकता का कारण किसानों की उन मांगो में निहित हैं, जिनके तहत वे उस भूमि पर स्वामित्व एवं काश्तकरी अधिकार प्राप्त करने के साथ साथ लगान का तर्कसंगत तरीके से पुर्नगठन और उसमें कमी चाहते थे! जिस पर वे कृषि करते थे! भूमि सुधार सामान्य रूप से भूमिहीनों, काश्तकारों और छोटे किसानों के लाभ के लिए भूमि पुनर्वितरण की सरकारी नीति को दर्शाता है!
भूमि सुधार के लिए किए गए उपाय (Measures taken for land reform in hindi) –
(1) मध्यस्थों का उन्मूलन करना!
(2) काश्तकारी, अधिभोग,भूमि दखल व कब्जा में सुधार, मालगुजारी में विनियम करना तथा भूमि स्वामित्व सुधार करना!
(3) जोत की इकाई की ऊपरी सीमा निर्धारित करना तथा अधिशेष भूमि को खेतिहर मजदूरों तथा सीमांत किसानों में बांटना!
(4) सरकारी फार्म स्थापित करना तथा भूमि रिकार्ड को सुधार करना
भारत में भूमि सुधार कार्यक्रम का मूल्यांकन (bharat mein bhumi sudhar karyakram ka mulyankan kijiye) –
भूमि सुधार कार्यक्रम में समानता, सामाजिक न्याय और तथा कृषि उत्पादकता में वृद्धि निहित उद्देश्य रहे फिर भी, अपेक्षित लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल नहीं रहा और आज भी भारत के गाँव में भूमि संबंधी असमानता एवं इससे जनित अन्य समानताएं एवं शोषण देखे जा सकते हैं भूमि सुधार में संतोषजनक प्रगति न होने के कारण निम्न है –
(1) बड़े-बड़े भू स्वामियों ने अपने रिश्तेदारों को भूमि हस्तांतरित करके भूमि पर अपना स्वामित्व बरकरार रखा!
(2) भूमि सुधार कानून लागू करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति अनिवार्य है, जिसकी कमी कारण भूमि सुधार केवल एक नारा बनकर रह गया!
(3) भारतीय नौकरशाह अपने कर्तव्य निभाने में असफल रहे और कई बार नेता के प्रभाव में आ जाते हैं जिससे कारण कानूनों का सही ढंग से पालन नहीं हो पाता!
(4) भूमि सुधार (Land reform)लागू करने वाली बहुत सी एजेंसियों में तालमेल न होने के कारण भूमि सुधार को लागू करने में देरी हुई!
(5) देश के विभिन्न राज्यों में भूमि सुधार के कानूनों में विभिन्नता पाई जाती है, जिसके कारण राष्ट्रीय स्तर पर उनको लागू करने में कठिनाई आती है!
भूमि सुधार के लिए सुझाव (Suggestions for land reform in hindi) –
(1) सरकारी मशीनरी एवं नौकरशाही को सक्षम बनाया जाना चाहिए!
(2) भूमि संबंधी मुकदमे को जल्द निपटाने के लिए स्पेशल कोर्ट बनाया जाना चाहिए!
(3) भूमि सुधार कानून सख्त बनाए जाने चाहिए और ऐसे होने चाहिए जिनको आसानी से चुनौती न दी जा सके!
(4) भूमि सुधार कानून के बारे में ग्रामीण समाज को जानकारी देकर जागरूकता फैलाई!
(5) प्रत्येक गांव में भूमि सुधार समिति की स्थापना की जानी चाहिए जो भूमि सुधारों को जल्द लागू कराए!
(6) चकबंदी से प्राप्त भूमि में जिन गरीब लोगों को दी जाए, उनको वित्तीय सहायता भी दी जानी चाहिए ताकि वे भूमि का सदुपयोग कर सके! उनको तकनीकी जानकारी देने का प्रबंध भी होना जरूरी है!