अशक्त वर्ग के प्रति करूणा (Compassion for the disabled in hindi) –
करुणा (compassion) से आशय दु:खी एवं कमजोर व्यक्तियों एवं प्राणियों के प्रति उत्पन्न होने वाली ऐसी भावना से है, जो उनकी दुख: पूर्ण स्थिति समझने तथा उनके प्रति सहानुभूति रखने की परिणामस्वरूप उत्पन्न होती है! करुणा व संवेदनशीलता में हम दूसरों के कष्टों के प्रति हम इतने भावुक हो जाते हैं कि हम उस कष्ट के निवारण के लिए कुछ करने को प्रेरित हो उठते हैं! विभिन्न धर्म एवं दार्शनिक संप्रदायों में भी करुणा का एक महान सदगुण स्वीकार किया गया है!
करुणा में निहित लक्षण (Traits of compassion in hindi) –
करुणा (compassion) में निहित लक्षणों को निम्नलिखित रुप में समझा जा सकता है!
(1) करुणामय व्यक्ति दूसरों के प्रति समानुभूति प्रदर्शित करता है, अर्थात – उनके दुखों को समझता है और महसूस करने की कोशिश करता है!
(2) करुणामय व्यक्ति में दूसरों को कष्ट से मुक्ति दिलाने की तीव्र इच्छा रहती है!
(3) करुणामय व्यक्ति दूसरों की मदद इसलिए नहीं करता क्योंकि ऐसा करना उसके बाद आता है बल्कि यह सब अपनी इच्छा से करता है!
(4) करुणामय व्यक्ति अपनी दयालुता के बदले दूसरों से कुछ पाने की उम्मीद नहीं रखता है!
एक लोक सेवक में कमजोर वर्ग के प्रति करुणा का मूल्य होना चाहिए! प्रत्येक समाज में कुछ ऐसे कमजोर लोग या वर्ग होते हैं, जिनके उत्थान हेतु विशेष प्रयास करने की आवश्यकता होती है, ताकि वह समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सके! भारत में संरक्षणात्मक नीति के तहत कमजोर वर्गों को समाज की मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया जा रहा है!
ऐसी स्थिति में लोक सेवकों से इस बात की अपेक्षा की जाती है कि वे अपने कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान ऐसे कमजोर वर्गो के प्रति विशेष रूप से सहानुभूति और चिंता प्रदर्शित करेंगे! यदि लोक सेवा में कमजोर वर्ग के प्रति करुणा एवं संवेदनशीलता नहीं होगी, तो उनके भटकाव की संभावना प्रबल हो जाएगी! जो नए प्रकार की समस्याओं को जन्म दे सकती है!