भारत में रेलवे का विकास (bharat mein railway ka vikas)

भारत में रेलवे का विकास (bharat mein railway ka vikas) –

भारत में रेलवे का विकास 1853 ई में आरंभ किया गया! ब्रिटिश शासन के अंतर्गत भारत में किए गए निर्माण कार्यों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण रेलवे प्रणाली का विकास माना गया है भारत में प्रथम रेल लाइन 1853 में मुंबई से थाने के बीच बिछाई गयी थी! 1905 ई. में 45,000 किमी. लंबी रेल लाइन बिछाई जा चुकी थी! भारत में पहली रेल 16 अप्रैल 1853 को मुंबई से थाने के बीच चली थी!

भारत में रेलवे का विकास के कारण एवं उद्देश्य (bharat mein railway ka vikas ke karan avn uddeshy) – 

सकारात्मक प्रभाव –

(1) राजनीतिक उद्देश्य – 

ब्रिटिश प्रशासन व्यवस्था का एकीकरण करना तथा ब्रिटिश सेना द्वारा भारतीय रेलवे की सहायता से भारतीय विद्रोही को तीव्रता से दबाना! 

(2) आर्थिक उद्देश्य – 

ब्रिटेन में औद्योगिक विकास के फल स्वरुप सिंचित हो चुकी अतिरिक्त राशि का निवेश करना भारत के दूरदराज के क्षेत्रों में कच्चा माल प्राप्त करना तथा ब्रिटिश उद्योगों में निर्मित माल को पहुंचाना! 

(3) सामाजिक एवं धार्मिक उद्देश्य – 

रेलवे के माध्यम से सामाजिक एवं धार्मिक गतिशीलता को स्थापित कर एक आधुनिक समाज का निर्माण करना, ताकि वह विदेशी वस्तुओं का खरीददार बन सके! 

भारत में रेलवे का विकास के प्रभाव (bharat mein railway ka vikas ke prabhav) –

(1) आर्थिक प्रभाव –

रेलवे के माध्यम से ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के बाजारों की भौगोलिक दूरी कम हो गई, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था का एकीकरण हुआ! साथ ही स्वतंत्रता के पश्चात रेलवे ने आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया! 

(2) सामाजिक उद्देश्य – 

लोग रेल के डिब्बों में साथ-साथ यात्रा करते थे, रेलवे स्टेशनों में खाना-पीना करते थे, जिससे परंपरागत जाति बंधन तथा छुआछूत का प्रभाव कमजोर होने लगा! 

(3) राजनीतिक उद्देश्य – 

रेलवे के परिणामस्वरूप भारत में प्रशासन की एकरुपता आई, जिससेे प्रशासन की दक्षता में वृद्धि हुई, साथ ही रेलवे ने राष्ट्रवाद के प्रचार एवं प्रसार में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया! 

नकारात्मक प्रभाव –

(1) राजनीतिक प्रभाव – 

रेलवे की सहायता से अंग्रेजों ने राष्ट्रवादी आंदोलन का सफलतापूर्वक दमन किया उदाहरणार्थ – 1857 के विद्रोह को कुचलने में रेलवे ने अंग्रेजों की बड़ी सहायता की थी! 

(2) आर्थिक प्रभाव –

रेलवे के माध्यम से ब्रिटिश उद्योगों के लिए भारत के दूरदराज क्षेत्रों से कच्चा माल प्राप्त किया जा सका तथा इन क्षेत्रों पर निर्मित माल पहुंचाया जा सका! इससे भारत के हस्तशिल्प उद्योग होना तो कच्चा माल प्राप्त हो सका और न ही सस्ता बाजार, परिणामस्वरुप हस्तशिल्प उद्योग का पतन हो गया! साथ ही रेलवे के निर्माण हेतु ब्रिटिश सरकार द्वारा कृषकों से अत्याधिक राजस्व प्राप्त करने का प्रयास किया गया! 

सबसे बढ़कर भारत में रेल लाइन के विकास मैं लगभग 350 करोड से अधिक की पूंजी ब्रिटेन के निजी निवेशकों द्वारा लगाई गई थी! ब्रिटिश सरकार ने इन निवेशकों को 5% लाभांश की गारंटी भी दी थी! आरंभ के 50 वर्षों में रेलवे से वित्तीय घाटा ही होता रहा, बावजूद इसके सरकार ने निजी निवेशकों को 5% का लाभ दिया! इस रूप में भारत से बड़ी मात्र में धन का निष्कासन होता रहा! 

भारत में रेलवे का विकास की समीक्षा (bharat mein railway ka vikas ki samiksha) – 

1853 में कार्ल मार्क्स ने कहा था कि रेलवे आधुनिक औद्योगीकरण को लेकर आएगा! कार्ल मार्क्स का कथन जर्मनी, ब्रिटेन, जापान, कनाडा, आस्ट्रेलिया आदि देशों के संदर्भ में तो सत्य साबित हुआ, परंतु भारत के संदर्भ में नहीं! वस्तुतः भारत में रेलवे ने औद्योगिक विकास की बजाय दरिद्रीकरण को ही बढ़ावा दिया, इसके पीछे निम्नलिखित कारण उत्तरदाई है –

(1) भारत में किए गए रेलवे निर्माण में पूंजी विनियोग पर 5% लाभ की गारंटी दी गई! इससे रेलवे कंपनियों ने रेल लाइनों के निर्माण में फिजूलखर्ची की! जहां इंग्लैंड में प्रति मील रेललाइन का निर्माण 9,000 पाउंड खर्च हुआ था, वहीं भारत में इसकी लागत 30,000 पाउंड थी! इस प्रकार भारत की संपत्ति नष्ट होती गई, जिससे औद्योगिक विकास प्रभावित हुआ! 

(2) भारत के अतिरिक्त अन्य देशों में रेलवे के आगमन के साथ उस पर आधारित उद्योगों की स्थापना हुई थी! किंतु भारत में रेलवे तो आवश्यक इंजन, डिब्बे, कलपुर्जे आदि का निर्यात ब्रिटेन से ही होता रहा! फलस्वरुप रेल मार्गों के विकास के साथ दूसरे भारी उद्योग स्वाभाविक विकास जो भारत होना चाहिए था, वह नहीं हो पाया! 

(3) रेलवे के माध्यम से भारत के दूरस्थ क्षेत्रों से आसानी से कच्चा माल प्राप्त किया जा सका! साथ ही इन क्षेत्रों में ब्रिटिश उद्योगों में निर्मित वस्तुओं को पहुंचाया जा सका! इससे भारत के हस्तशिल्प उद्योगों का पतन हो गया! 

(4) अंग्रेजों ने रेलवे माल-भाड़ा की दर भी ब्रिटिश उद्योगों हेतु कम तथा भारतीय उद्योग हेतु अधिक निर्धारित की थी! इससे भी भारतीय उद्योगों को पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा! 

निष्कर्ष – 

इसका प्रकार यह कहा जा सकता है कि रेलवे ने जिस गति से ब्रिटिश साम्राज्यवाद को प्रसारित एवं सुदृढ़ किया तथा ब्रिटिश उद्योगों को प्रत्यक्ष रुप से लाभ पहुंचाया, वह भारतीयों को मिले अप्रत्यक्ष लाभ की तुलना में कहीं अधिक था! इस दृष्टि से रेलवे ने औद्योगिक विकास को नहीं, बल्कि ब्रिटिश साम्राज्यवाद को ही मजबूती प्रदान की! 

प्रश्न :- भारत में पहली रेलगाड़ी कब और कहां चली थी?

उत्तर :- भारत में प्रथम रेल लाइन 1853 में मुंबई से थाने के बीच बिछाई गयी थी! भारत में पहली रेल 16 अप्रैल 1853 को मुंबई से थाने के बीच चली थी! इस ट्रेन ने लगभग 33 किलोमीटर की दूरी तय की थी!

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