भारत में राष्ट्रवाद का उदय (bharat me rashtravad ka uday) –
19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में भारत में राष्ट्रीय चेतना का बहुत तेजी से विकास हुआ! इस राष्ट्रीय चेतना के कारण उत्पन्न राष्ट्रीय आंदोलन से ही अंततः भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई! भारत में राष्ट्रवाद का उदय में कई कारणों का योगदान था!
भारत में राष्ट्रवाद का उदय के कारण (bharat me rashtravad ka uday ke karan) –
(1) नस्लीय भेदभाव की नीति –
अंग्रेज अपने आपको श्रेष्ठ समझते थे, जबकि भारतीयों को अपमान एवं घृणा की दृष्टि से देखते थे! प्रशासन, न्यायालय तथा सेना में भी नस्लीय भेदभाव किया जाता हैं! इस विभेद की नीति से भी भारतीयों में एकता तथा राष्ट्रीयता का विकास हुआ!
(2) आर्थिक शोषण –
ब्रिटिश औपनिवेशिक नीति से भारत में भुखमरी, अकाल, शिल्प उद्योगों का पतन, धन निष्कासन जैसी अनेक आर्थिक समस्याओं का जन्म हुआ! ब्रिटिश आर्थिक शोषण के कारण कृषक, मजदूर, जमीदार, पूंजीपति, बुद्धिजीवी आदि वर्ग में तीव्र असंतोष व्याप्त हो गया था! इस आर्थिक असंतोष की वजह से ही मुख्यतः राष्ट्रवाद का उदय हुआ!
(3) आधुनिक शिक्षा –
यद्यपि अंग्रेजों ने भारत में अंग्रेजी शिक्षा का प्रसार स्वार्थवश किया था, परंतु 19 वीं शताब्दी में अंग्रेजी शिक्षा एवं पश्चात विचारकों ने भारतीयों को तर्कसंगत एवं विवेकपूर्ण दृष्टिकोण प्रदान किया! आधुनिक शिक्षा प्राप्त भारतीयों ने जब बर्क, जेम्स मिल, रूसो, वाल्टेयर आदि के विचारों को पढ़ा, तब उनमें स्वतंत्रता, स्वशासन तथा राष्ट्रीयता की भावना का विकास हुआ!
(4) सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलन –
राष्ट्रीय चेतना की उत्पत्ति में सामाजिक-धार्मिक आंदोलनों का विशेष महत्व रहा है! राजा राममोहन राय, दयानंद सरस्वती, विवेकानंद आदि ने भारतीय धर्म और संस्कृति की श्रेष्ठता का प्रतिपादन किया तथा आम जनता को यह बताया कि हमें पश्चिमी सभ्यता एवं संस्कृति का अंधानुकरण नहीं करना चाहिए! इन सुधारकों ने लोगों में आत्मसम्मान एवं राष्ट्रप्रेम की भावना को विकसित किया! परिणामस्वरूप भारतीयों में राष्ट्रीयता का विकास हुआ!
(5) परिवहन एवं संचार के साधनों का विकास –
रेल, डाक, तार आदि साधनों के विकास ने भी भारत में राष्ट्रीयता की जड़ों को मजबूत किया! इनके कारण भौगोलिक दूरी कम हुई तथा जनता में निकटता आई, जिससे राष्ट्रीय भावना का विकास हुआ!
(6) प्रेस एवं साहित्य –
आधुनिक समाचार पत्रों, जैसे – राजा राम मोहन राय द्वारा लिखित संवाद कौमुदी व मिरात-उल-अखबार, ईश्वर चंद्र विद्यासागर द्वारा लिखित सोमप्रकाश, मोतीलाल घोष द्वारा लिखित अमृत बाजार पत्रिका, बाल गंगाधर तिलक द्वारा लिखित मराठा एवं केसरी आदि ने ब्रिटिश नीतियों की आलोचना कर भारतीयों में राष्ट्रवाद की भावना जगाई!
इस प्रकार उपर्युक्त समस्त कारणों से भारतीयों में राष्ट्रवाद का विकास हुआ! इस राष्ट्रवाद के सर्वोच्च अभिव्यक्ति कांग्रेस की स्थापना एवं राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के रूप में हुई!
अंग्रेज सरकार के खिलाफ बढ़ता गुस्सा विभिन्न भारतीय समूह और वर्गों को स्वतंत्रता के साझा संघर्ष में खींच रहा था! महात्मा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने लोगों के असंतोष और परेशानियों को स्वतंत्रता के संगठित आंदोलन में समाहित करने का प्रयास किया! आगे कांग्रेस के नेतृत्व में चलाए गए राष्ट्रीय आंदोलन के परिणामस्वरूप ही भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई
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