अभिरुचि क्या हैं (Abhiruchi kya hai) –
अभिरुचि (Abhiruchi) से तात्पर्य किसी विशिष्ट क्षेत्र में कौशल या ज्ञान प्राप्त करने की अर्जित या जन्मजात क्षमता से है! इसमें किसी व्यक्ति के विशिष्ट क्षेत्र में सफल होने की संभावना नहीं होती है, यदि इस क्षमता को उचित वातावरण व प्रशिक्षण द्वारा विकसित किया जाए!
अभिरुचि (Abhiruchi) वह बुनियादी क्षमता है, जिसे सामान्य तौर पर प्रतिभा कहते हैं, जिसके बारे में हम कह सकते हैं कि यदि उह व्यक्ति को उस क्षेत्र में प्रशिक्षण दिया जाए, तो वह व्यक्ति उस क्षेत्र में अच्छा निष्पादन कर पाएगा!
अभिरुचि की परिभाषा (abhiruchi ki paribhasha) –
बिंघम के अनुसार, अभिरुचि व्यक्ति के व्यवहार के उन विशिष्ट गुणों की ओर संकेत करती है, जो यह बताते हैं कि वह व्यक्ति किन्ही विशिष्ट प्रकार की समस्याओं का किस प्रकार सामना करेगा और उन्हें कैसे हल करेगा!
ट्रैक्सलर के अनुसार, अभिरुचि व्यक्ति की एक स्थिति है, एक गुण या गुणों का समूह है जो उस संभव सीमा की ओर संकेत करता है, जहां तक वह व्यक्ति उचित प्रशिक्षण द्वारा किसी ज्ञान, कुशलता या ज्ञान समूह को प्राप्त कर सकता है, जैसे – कला, संगीत, मशीन संबंधी योग्यता, गणित संबंधी योग्यता, किसी विदेशी भाषा को पढ़ने या बोलने की योग्यता आदि!
इस प्रकार स्पष्ट है कि अभिरुचि के ज्ञात से हमें किसी व्यक्ति की विशिष्ट क्षेत्र में भावी सफलता का पता चल सकता है परंतु उस विशेष क्षेत्र में उसे उचित प्रशिक्षण मिलना आवश्यक है!
अभिरुचि की विशेषताएँ (abhiruchi ki visheshtaayein) –
विघंम ने अभियोग्यता या अभिरुचि की निम्न विशेषताएँ बतायी हैं-
(1) अभिरुचि व्यक्ति के वर्तमान गुणों का वह समुच्चय है, जो कि उसकी भविष्य की क्षमताओं की ओर संकेत करता है ।
(2) अभिरुचि का, योग्यता, क्षमता तथा संतुष्टि से घनिष्ठ संबंध होता है।
(3) वर्तमान वस्तु स्थिति होने पर भी अभिक्षमता या अभियोग्यता का निर्देश भविष्य की ओर होता है, यह क्षमताओं की प्रतीक है।
(4) यह व्यक्ति की जन्मजात योग्यता ही नहीं होती, बल्कि किसी कार्य को करने में उसके समुपयुक्ता (Fitness) का भाव भी व्यक्त करती है।
(5) अभिरुचि कोई वस्तु न होकर अमूर्त (Abstract) संज्ञा है।
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