अलाउद्दीन खिलजी की मंगोल नीति का वर्णन कीजिए (alauddin khilji ki mangol niti ka varnan kijiye)

अलाउद्दीन खिलजी की मंगोल नीति (alauddin khilji ki mangol niti) –

सुल्तान अलाउद्दीन ने मंगोल हमलावरों से सुरक्षा पाने के लिए गुलाम वंशीय सुल्तान बलबन की नीति का पालन किया, परंतु दोनों संतानों की नीतियों में कुछ अंतर पाया जाता है! सुल्तान बलबन मंगोलों के आक्रमण से बहुत आतंकित था तथा उनके हमलों की आशंका उसे राजधानी दिल्ली से बाहर नहीं जाने देती थी! यदि वह किसी अभियान पर दिल्ली से बाहर जाता भी था तो यथाशीघ्र वापस आने का प्रयत्न करता था! 

अत: दिल्ली सल्तनत के साम्राज्य विस्तार के प्रति उदासीन बन गया था! इसके अलावा सुल्तान अलाउद्दीन मंगोल आक्रमणकारियों को इतना शक्तिशाली नहीं मानता था और दिल्ली सल्तनत के साम्राज्य विस्तार के के लिए प्रायः दिल्ली से दूर भी जाता रहता था! सीमाओं की सुरक्षा तथा मंगल आक्रमणों की विफलता के लिए सुल्तान अलाउद्दीन द्वारा अनेक कार्य संपन्न किए गए! अलाउद्दीन खिलजी की मंगोल नीति के तहत किए गए प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं –

(1) सीमांत दुर्गों का सुदृढ़ीकरण – 

सुल्तान अलाउद्दीन ने सबसे पहले उत्तरी पश्चिमी सीमा पर स्थित दुर्गों को सुधार किया तथा नवीन दुर्गों का निर्माण कराया! इतिहासकार जियाउद्दीन बरनी के शब्दों में मंगोल सरदार वार्गी के हमले की आशंका के समाप्ति पर सुल्तान अलाउद्दीन असावधानी की निद्रा से जाग उठा! उसने अन्य क्षेत्रों पर आक्रमण करना एवं दुर्ग विजय करना स्थगित कर दिया! 

वह दिल्ली के समीप सीरी में दुर्ग बनाकर वहां रहने लगा! दिल्ली नगर को ऊंची चारदीवारी से घेरा गया तथा सुल्तान द्वारा आदेश दिया गया कि मंगोल आक्रमण के मार्ग में पड़ने वाले समस्त दुर्गो का जीर्णोद्धार कराया जाए तथा जहां जहां दुर्गो के निर्माण आवश्यकता हो वहां उनका तुरंत निर्माण कराया जाए!  

(2) सैनिक शक्ति में वृद्धि – 

मंगोलों का सामना करने के उद्देश्य से सुल्तान अलाउद्दीन ने अपनी सेना का फिर से गठन करके उसे शक्तिशाली बनाया! शीघ्र ही उसकी सेना की संख्या 5,00,000 तक जा पहुंची! हथियारों, घोड़ों, हाथियों एवं युद्ध के में काम आने वाली सामग्री की उत्तमता पर विशेष ध्यान दिया गया! 

उनकी शक्ति का अनुमान लगाने के लिए गुप्तवंश की व्यवस्था की गई! सेनानायकों एवं सैनिकों को सतर्क रहने की आज्ञा दी गई! आवागमन के साधनों का यथा शक्ति विकास किया गया तथा डाक व्यवस्था को भी उपयोगी बनाया गया! 

(3) महत्वपूर्ण स्थानों पर सैनिक छावनी की स्थापना – 

दीपालपुर, समाना, मुल्तान आदि को सीमांत प्रदेश घोषित करके

 वहाँ शक्तिशाली सैनिक छावनी की स्थापना की गई! सीमांत प्रदेश की सुरक्षार्थ और उलूगखां, जफर खां, मलिक काफूर आदि युद्ध कला के जाता सेनानायकों को सीमांत दुर्गा पर नियुक्त किया गया!   

(4) मंगोलों की हत्या – 

मंगोल नेताओं को पकड़ पकड़ कर उनका निर्दयता से वध किया जाने लगा! मंगोलों की बड़ी संख्या में बंदी बनाकर उनका भीषण संहार किया जाने लगा! इतिहासकारों बरनी के शब्दों में “सुल्तान अलाउद्दीन ने मंगोलों के सिरों की मीनार बनवा दी थी! जो भी मंगोल बंदी बनाए जाते थे, उन्हें हाथियों के पैरों से कुचलवा दिया जाता था!” 

सुल्तान जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने कुछ मंगोलों को दिल्ली के समीप बसा दिया था! उन्हें नवमुसलमान कहा जाता था! सुल्तान अलाउद्दीन को जब तक ज्ञात हुआ कि नवमुसलमान  सल्तनत के विरुद्ध को चक्रों और षड्यंत्रों में व्यस्त हैं तो उसने सभी का वध कर दिया! लगभग 25,000 मंगोल और उनके स्त्री – बच्चें मौत की गोद में सुला दिए गए!  

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