अलाउद्दीन खिलजी का इतिहास (Alauddin khilji history in hindi) –
अलाउद्दीन के बचपन का नाम अली तथा गुरशास्प था! जलालुद्दीन की हत्या 1296 ई. में अलाउद्दीन ने कडामानिकपुर (इलाहाबाद) में कर दी और 12 अक्टूबर 1296 ई. में अलाउद्दीन दिल्ली का सुल्तान बना!
अलाउद्दीन खिलजी (Alauddin khilji) ने सेना को नगद वेतन देने एवं स्थाई सेना की नींव रखी!
दिल्ली के शासकों में अलाउद्दीन खिलजी के पास सबसे विशाल स्थाई सेना थी! घोड़ा दागने एवं सैनिकों का हुलिया लिखने की प्रथा की शुरुआत अलाउद्दीन खिलजी ने की! अलाउद्दीन ने भू राजस्व की दर को बढ़ाकर उपज का आधा कर दिया!
इसमें व्यापारियों में बेईमानी को रोकने के लिए कम तोलने वाले व्यक्ति के शरीर से मांस काट लेने का आदेश दिया! इसने अपने शासनकाल में मूल्य नियंत्रण प्रणाली को दृढ़ता से लागू किया! इसने खम्स (लूट का धन) में सुल्तान का हिस्सा 1/4 भाग के स्थान पर 3/4 भाग कर दिया!
अलाउद्दीन खिलजी का मकबरा (alauddin khilji ka makbara) –
अलाउद्दीन खिलजी का मकबरा दिल्ली में स्थित कुतुबमीनार परिसर में है!
अलाउद्दीन खिलजी की मौत कैसे हुई (how did alauddin khilji died in hindi) –
2 जनवरी 1316 ई. को इनकी मृत्यु हो गई! इनकी मृत्यु के कारणों में इतिहासकार में मतभेद है! कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इनकी मृत्यु मलिक काफूर के जहर देने के कारण हुई थी तथा कुछ का मानना है कि इनकी मृत्यु जलोदर नामक रोग के कारण हुई थी!
अलाउद्दीन खिलजी की बाजार नियंत्रण व्यवस्था (Market reforms of alauddin khilji in hindi) –
अलाउद्दीन खिलजी की बाजार नियंत्रण व्यवस्था की जानकारी बरनी की पुस्तक तारीख-ए-फिरोजशाही फतवा-ए-जहांदारी तथा अमीर खुसरो की पुस्तक खजाइन-ए-फुतूह से प्राप्त होती है! अपने सैनिकों को सीमित वेतन से संतुष्ट रखने हेतु सुल्तान ने कीमतों पर कड़ा नियंत्रण प्रारंभ किया जो लागत पर आधारित था! अलाउद्दीन खिलजी की बाजार नियंत्रण व्यवस्था के निम्नलिखित प्रमुख उद्देश्य थे!
बाजार नियंत्रण व्यवस्था के उददेश्य –
(1) अमीर खुसरो के अनुसार अलाउद्दीन की बाजार नियंत्रण व्यवस्था जनकल्याण की भावना से प्रेरित थी! बरनी ने भी अपनी पुस्तक फतवा-ए-जहांदारी में इसका समर्थन किया है!
(2) बरनी ने अपनी पुस्तक तारीख-ए-फिरोजशाही में बाजार नियंत्रण व्यवस्था को सैनिको उद्देश्यों से प्रेरित बताया है! बरनी के अनुसार अलाउद्दीन ने साम्राज्य विस्तार के लिए एक विशाल सेना को संगठित किया था! यदि इतनी विशाल सेना को साधारण वेतन भी दिया जाता, तो राज्य का खजाना 5 से 6 वर्षों में ही समाप्त हो जाता!
इस कारण सैनिकों के वेतन और वस्तुओं के मूल्य में कमी करना आवश्यक था! इस प्रकार बाजार नियंत्रण व्यवस्था का उद्देश्य राजकोष पर अतिरिक्त बोझ डाले बिना सैन्य आवश्यकता को पूरा करना था!
(3) मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना!
उपरोक्त दोनों उद्देश्यों पर विचार करने पर द्वितीय मत अधिक उपयुक्त प्रतीत होता है, क्योंकि बाजार नियंत्रण व्यवस्था दिल्ली के नजदीक स्थित सैनिक बेरकों के पास ही लागू की गई थी! हालांकि इस व्यवस्था का लाभ कुछ हद तक सामने जनता को भी प्राप्त हुआ होगा
बाजार नियंत्रण व्यवस्था के विभिन्न चरण (Steps of Market reforms of alauddin khilji in hindi) –
(1) मूल्यों का निर्धारण –
अलाउद्दीन ने दैनिक उपभोग की वस्तुओं जैसे खाद्यान्न, वस्त्र, पशु, दास-दासी आदि के मूल्यों की सूची तैयार करवाई तथा इन वस्तुओं के मूल्य निश्चित कर दिए गए!
(2) बाजारों की स्थापना –
अलाउद्दीन ने बाजार नियंत्रण व्यवस्था के अंतर्गत मुख्यतः तीन प्रकार के बाजार संगठित किए – मंडी (गल्ला बाजार), सराय-ए-अदल (वस्त्र बाजार) तथा पशु-पक्षियों एवं दास-दासियों का बाजार!
(A) मंडी (गल्ला बाजार) –
इस मंडी में सभी प्रकार के अनाज से राज्य द्वारा निर्धारित कीमतों पर बेचे जाते थे! शहना-ए-मंडी नामक सरकारी कार्यालय में पंजीकृत व्यापारीयों को ही किसानों से गल्ल खरीदने और फिर इस बाजार में बेचने की अनुमति थी! मंडी में अनाज की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु यह प्रावधान किया गया था कि दोआब की समस्त खालसा भूमि का लगान अनाज के रूप में वसूल कर ही बाजार में बेचा जाए!
सराय-ए-अदल (वस्त्र बाजार) –
इस बाजार में राज्य द्वारा निर्धारित कीमतों में कपड़े, जड़ी-बूटी, सूखे मेवे, घी आदि वस्तुओं की खरीद बिक्री होती थी! राज्य द्वारा मुल्तानी व्यापारियों को अग्रिम धन दिया जाता था, ताकि वह अन्यत्र माल खरीदकर नियंत्रित दरों पर सराय-ए-अदल में बेच सके! इस बाजार का प्रमुख अधिकारी (राय परवाना) परमिट अधिकारी होता था!
पशु-पक्षियों एवं दास-दासियों का बाजार –
इस बाजार में राज्य द्वारा निर्धारित कीमतों में पशु-पक्षियों एवं दास-दासियों की खरीद बिक्री होती थी! इस बाजार में मूल्य वृद्धि की समस्या दलालों द्वारा उत्पन्न की जाती थी! अत: अलाउद्दीन ने दलालों को बाजार से निष्कासित कर दिया!
(3) राशनिंग प्रणाली –
अलाउद्दीन ने राशन प्रणाली की व्यवस्था की, ताकि देश के किसी भी स्थान पर अकाल इत्यादि के समय अनाज की कमी ना हो! इसकी पूर्ति के लिए सरकारी गोदाम बनाए गए थे!
(4) पृथक विभाग की स्थापना –
बाजार नियंत्रण व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए अलाउद्दीन ने दीवान-ए-रियायत नामक विभाग की स्थापना तथा बरीदो, मुन्हिया जैसे गुप्तचरों की नियुक्ति की!
बाजार नियंत्रण व्यवस्था के प्रभाव (alauddin khilji ki bazar niyantran vyavastha ka prabhav) –
सकारात्मक प्रभाव –
(1) इस व्यवस्था की सबसे बड़ी उपलब्धि मूल्यों की स्थिरता थी, जिससे मूल्यों के उतार-चढ़ाव से जनता को होने वाली परेशानियों में कमी आई! बरनी के अनुसार मूल्य नियंत्रण पूरी तरह सफल रहा! राजकीय नियंत्रण इतना कठोर था, कि कम तोलने वाले के शरीर से उतना ही मांस काट लिया जाता था!
(2) बाजार नियंत्रण व्यवस्था से राजकीय आय में वृद्धि हुई, जिससे केंद्र में एक स्थाई एवं विशाल सेना संगठन की जा सकी! इस विशाल सेना की सहायता से न केवल मंगोल आक्रमण का सफलतापूर्वक सामना किया जा सका, बल्कि आंतरिक विद्रोह को भी कुचला जा सका तथा साम्राज्य का विस्तार भी किया जा सका!
(3) इस व्यवस्था का लाभ सैनिकों के साथ-साथ उन बाजारों के आसपास की आम जनता को भी प्राप्त हुआ!
(4) बाजार व्यवस्था में प्रचलित मिलावट, कालाबाजारी, दलालों की उपस्थिति यही समस्याओं का समाधान हो पाया
नकारात्मक प्रभाव –
(1) यह व्यवस्था केवल दिल्ली के आसपास ही लागू की गई थी! अतः शेष साम्राज्य में जनता का शोषण पूर्ववत होता रहा!
(2) इस व्यवस्था से कृषकों की स्थिति और भी दयनीय हो गई, क्योंकि एक तो उन्हें अपनी उपज का 50% राजस्व के रूप में देना होता था, वही इस व्यवस्था से शेष 50% अनाज पर भी वे राज्य द्वारा निर्धारित कीमतों पर ही बेचने बाध्य थे!
(3) इस व्यवस्था से व्यापारियों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा, क्योंकि उन्हें राज्य द्वारा निर्धारित कीमतों पर ही वस्तुएं बेचनी पड़ती थी, जिससे मुनाफा कम मिलता था!
निष्कर्ष –
उपर्युक्त सीमाओं के बावजूद मध्यकालीन युग में बाजार नियंत्रण व्यवस्था एक अभिनव प्रयोग था! अलाउद्दीन खिलजी ने अपने शासनकाल में इस व्यवस्था को कोई सफलता से लागू किया! यही कारण है कि लेनपुल ने अलाउद्दीन खिलजी को कुशल राजनीतिक अर्थशास्त्री की संज्ञा दी
अलाउद्दीन खिलजी की भू राजस्व नीति –
अलाउद्दीन खिलजी की भू राजस्व नीति की जानकारी बरनी की पुस्तक तारीख-ए-फिरोजशाही एवं फतवा-ए-जहांदारी तथा अमीर खुसरो की पुस्तक खजाइन-ए- फुतुह से प्राप्त होती है!
अलाउद्दीन खिलजी के साम्राज्यवादी नीति का विशेष महत्व है! अलाउद्दीन खिलजी ने व्यवहारिक कुशलता का परिचय देते हुए दक्षिण भारत में प्रत्यक्ष नियंत्रण स्थापित करने का प्रयास नहीं किया! वह यहां से केवल धन प्राप्त करता रहा था इस तन से ना केवल अपने सामाजिक की सुरक्षा की बल्कि कुछ लोक कल्याणकारी कार्य भी किये है!
अलाउद्दीन खिलजी की भू राजस्व नीति के उद्देश्य –
(1) कृषकों को सुरक्षा प्रदान करना!
(2) राज्य की आय में वृद्धि करना!
(3) मध्यस्थ भूमिपति वर्ग का दमन करना, ताकि विद्रोह एवं उपद्रव की समस्या का समाधान हो सके!
अलाउद्दीन खिलजी की साम्राज्यवादी नीति –
अलाउद्दीन खिलजी की साम्राज्यवादी नीति की जानकारी बरनी की पुस्तक तारीख-ए-फिरोजशाही एवं फतवा-ए-जहांदारी तथा अमीर खुसरो की पुस्तक खजाइन-ए- फुतुह से प्राप्त होती है!
अलाउद्दीन खिलजी के भू राजस्व सुधारों का व्यापक महत्व है! यद्यपि इसमें कुछ विसंगतियां अवश्य थी, किंतु अलाउद्दीन खिलजी की भूमि माप पद्धति से प्रेरणा लेते हुए ही आगे इसे परिवर्तित रूप में शेरशाह सूरी एवं अकबर द्वारा बनाया गया!
अलाउद्दीन खिलजी की साम्राज्यवादी नीति के उद्देश्य –
(1) राजकीय आय में वृद्धि –
अलाउद्दीन खिलजी ने साम्राज्यवादी नीति में उत्तर भारत एवं दक्षिण भारत के विषय के संदर्भ में अलग-अलग नीति अपनाई! जहां उत्तर भारत के संदर्भ में उसकी नीति पराजित राज्यों को अपने साम्राज्य में मिलाने की थी, वहीं दक्षिण भारत के संदर्भ में पराजित राज्यों से धन प्राप्त करने की थी!
(2) अखिल भारतीय साम्राज्य की स्थापना करना –
अलाउद्दीन एक वृहद साम्राज्य स्थापित करना चाहता था! यहां तक कि वह विश्व विजय भी करना चाहता था तथा उसने अपने सिक्कों में सिकंदर-ए-सानी की उपाधि धारण की थी! हालांकि दिल्ली के कोतवाल ओला-उल-मुल्क के समझाने पर उसने विश्वविजय की नीति छोड़ दी, किंतु भारत विजय की नीति का अनुसरण किया!
(3) स्वाभाविक परिणाम –
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि अलाउद्दीन खिलजी के साम्राज्यवादी नीति तुर्की राज्य निर्माण की प्रक्रिया का स्वभाव परिणाम था! अलाउद्दीन खिलजी ने इल्तुतमिश व बलबन द्वारा तुर्की राज्य का एक मजबूत आधार निर्मित कर दिया गया था! अतः इसकी अगली कड़ी तुर्की साम्राज्य का विस्तार था, जोकि अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा किया गया!